झमुरे के घर आज फिर एक किलकारी गूंजी
उसके माथे पर चिंता की लंबी लकीर खींच गई।
तभी अम्मा आ गयी।
परेशान झमूरे की परेशानी अब उसके चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी..
अम्मा आ कर उसके पास बैठे गयी। अम्मा की खामोशी झमुरे को और परेशान कर रही थी। तभी अम्मा बोल पड़ी.. लल्ला भगवान की मर्ज़ी पर आज तक किसी का बस कोनी चला।
तु ऐसे परेशान मत हो। झमुरा समझ गया था। रतना ने फिर से एक छोरी को जनम दिया है।
वो बिना कुछ बोले अपना गमचा और लाठी हाथ में ले कर घर से बाहर निकल गया
उधर रतना अपने आप को कोस रही थी
जाने किसकी नजर लगी है.. इस बार तो लड़का हो जाता... भगवान भी कितना निर्दयी है देखो सामने वाली धनिया के तो 3 लड़के है और मेरे..
सोचते सोचते रतना की आँखें भर आयी। अब अम्मा जी बिचिया के पापा सबको क्या जवाब देगी ।
गहरी सोच में डूबी रतना की तंद्रा नन्ही सी कली के रोने से टूटी...
वो उसे अपने से दूर करना चाहती थी पर उसका ममत्व उसे इसकी इजाजत नहीं दे रहा था
उसने उसे हाथ में लिया और प्यार से माथे पे चुमा मानो उसकी सारी चिंताए उसके स्पृश से ही दूर हो गयी हो।
उधर झमुरा अकेले तालाब के पास बैठा अपने सपने के टूटने से व्यथित था
उसके कदम आज घर की तरफ नही बढ़ रहे थे
"श्याम" कितना प्यार नाम है... कितने सपने देखें मैने और रतना ने
की अपने होने वाले बच्चे का नाम श्याम रखेंगे.. पर अब
वो अपने सपने टूटने की दर्द से तिलमिला उठा
आज उसके घर तीसरी लड़की हुई
उसे तो लड़कियों की चाहत कभी थी ही नहीं..
वो अपनी लाठी उठा गुस्से में सीधा घर को चल दिया
रास्ते में गाँव वाले हाल पूछते रहे पर उसकी खामोशी ने उन सबको जवाब दे दिया
वो सबको अनसुना कर घर पहुँचा
अम्मा उसकी राह देख रही थी
"लल्ला! कहा चला गया था.. रतना कब से परेशान हो रही है"
उसने अम्मा के सवाल का जवाब दिये बिना रतना के पास गया
रतना सो रही थी
उसने बच्ची को उठाया और सीधा तालाब किनारे चल दिया
वो उसे पानी मे फेकने वाला ही था
की उसका स्पृश् उसे महसूस हुआ
उसने पहली बार अपनी बेटी को देखा
मानो वो उससे कुछ कह रही थी
झमुरा उसे गोद म उठाये फिर घर की तरफ चल दिया
रास्ते में उसके रोने पर भी उसने उसे सीने से लगा के चुप कराने की कोशिश नहीं की
घर की दहलीज़ पे पैर रखने से पहले रतना के रोने की आवाज़ उसे व्यथित कर रही थी
घर पहुँच कर वो रतना को क्या जवाब देगा
यही सोच उसके कदम रुक गए
वो उसे हाथ में लिए तब तक वही खड़ा रहा
जब तक अम्मा जी उसको ढुढते हुए बाहर नहीं आ गयी
वो अपराध बोध से एक जगह खड़ा था
पर वो मासूम सी जान रोते रोते कब सो गयी इस बात का पता झमुरे को भी नहीं चला
अम्मा जी बिना कुछ कहे उसे रतना के सामने ले गयी
मानो अपराधी को जज के सामने पेश किया गया हो
इससे पहले रतना कुछ बोलती
झमुरे ने अपना सारा गुस्सा रतना पे निकाल दिया
और बच्ची को वहाँ पड़ी खटिया पर फेक कर बाहर चला गया
बच्ची के रोने की आवाज़ से पूरा घर गुंझ गया
शेष अगले अंक में
धन्यवाद🙏💕